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बहुजन आलोचना: हिंदी समाज का साहित्य इस कोण से
- Author(s):
- Pramod Ranjan (see profile)
- Date:
- 2012
- Group(s):
- Literary Journalism, Literary theory
- Subject(s):
- Hindi literature, Hindi prose literature, Race in literature, Hindi literature--Dalit authors, Caste
- Item Type:
- Editorial
- Tag(s):
- बहुजन साहित्य, बहुजन आलोचना, दलित साहित्य, आदिवासी साहित्य, दलित आलोचना, द्विज साहित्य, साहित्य में जाति
- Permanent URL:
- https://doi.org/10.17613/sekd-ny11
- Abstract:
- बहुजन आलोचना न सिर्फ़ दलित, आदिवासी व पिछड़ा वर्ग के साहित्य बल्कि ब्राह्मणवादी साहित्य और अन्य द्विज साहित्य की मौजूदगी को भी चिन्हित करती है और उनकी बुनावट के मूल (सामाजिक) पहलुओं और उसके परिणामों को सामने लाती है। विविध प्रकार के साहित्य में विन्यस्त मूल्यों और सौंदर्यबोध की मीमांसा करती है। इस प्रकार यह कई प्रकार के आवरणों, छद॒मों और भाषाई पाखंडों का उच्छेदन करते हुए वास्तविक जनोन्मुख साहित्य की तलाश करती है जो मनुष्य के उदात्त भाव और वैचारिकी का मार्ग प्रशस्त करे। प्रमोद रंजन के इस आलेख में बहुजन आलोचना के दायित्वों का उल्लेख किया गया है। इस लेख में हिंदी कथाकार संजय कुंदन के कहानी संग्रह 'बॉस की पार्टी' की कहानियों के पात्रों की सामाजिक पृष्ठभूमि को भी चिन्हित किया गया है।
- Notes:
- यह लेख द्विभाषी (हिंदी-अंग्रेजी) पत्रिका फारवर्ड प्रेस के अप्रैल 2012 अंक में प्रकाशित हुआ था। अंग्रेजी में इसका शीर्षक था: Bahujan Criticism — From a Distinct Angle". यहां अपलोड लेख दोनों भाषाओं में है। इसे यहां भी देखा जा सकता है: https://doi.org/10.17613/m8zs-8907
- Metadata:
- xml
- Published as:
- Journal article Show details
- Pub. Date:
- 2012
- Journal:
- फारवर्ड प्रेस
- Volume:
- IV
- Issue:
- 4
- Page Range:
- 9 - 12
- ISSN:
- 23489286
- Status:
- Published
- Last Updated:
- 4 months ago
- License:
- Attribution
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Item Name: बहुजन-आलोचना_-हिंदी-समाज-का-साहित्य-इस-कोण-से-प्रमोद-रंजन-2012.pdf
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