• हरियाणा की जाट राजनीति का डर

    Author(s):
    Pramod Ranjan (see profile)
    Date:
    2014
    Group(s):
    Gender Studies, Sociology
    Subject(s):
    Rape victims, Acquaintance rape, Young women--Crimes against, Caste, Dalits--Crimes against, Peasant uprisings, India--Haryana
    Item Type:
    Editorial
    Tag(s):
    Rape in india, Rape in haryana, Bagana Kand, Post Independence Movements, Other backward class
    Permanent URL:
    https://doi.org/10.17613/5ymj-qg55
    Abstract:
    21 मई 2012 को हरियाणा के भगाना (भगाणा) गांव में दबंग जाति के लोगों से विवाद के बाद दलित-पिछड़े परिवारों के 52 से ज्यादा परिवारों को अपना गांव छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। विवाद की शुरूआत शामलात जमीन पर कब्जा हटवाने को लेकर हुई थी। दबंग समुदाय ने उनका हुक्का पानी बंद कर दिया था। इस घटना के 2 साल बाद 23 मार्च 2014 को भगाना गांव की धानुक समुदाय की 4 लड़कियों का दबंग समुदाय के लडकों ने अपहरण कर उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया था। इन घटनाओं के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर महीनों तक भगाणा गांव के दलित-पिछड़े समुदाय के लोगों ने महीनों तक निरंतर प्रदर्शन किया, जिसमें जेएनयू के विद्यार्थियों व विभिन्न सामाजिक संगठनों की सक्रिय भागीदारी रही। यहां प्रस्तुत लेख में भागणा के आंदोलन में शामिल रहे प्रमोद रंजन ने दलित मुद्दों पर मीडिया की निष्क्रियता पर सवाल उठाया है।
    Notes:
    यह लेख का एक अन्य ड्राफ्ट दैनिक जनसत्ता में प्रकाशित हुआ था।
    Metadata:
    Published as:
    Magazine section    
    Status:
    Published
    Last Updated:
    4 months ago
    License:
    Attribution-NonCommercial

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