• उपेंद्र कश्यप की पुस्तक 'आंचलिक पत्रकारिता के तीन दशक' की प्रस्तावना

    Author(s):
    Pramod Ranjan (see profile)
    Date:
    2021
    Group(s):
    Communication Studies
    Subject(s):
    Mass media and regionalism, Journalists, Indian press, Journalistic ethics, India--Bihar
    Item Type:
    Book chapter
    Tag(s):
    Journalism studies, Communications and media policy, Journalism--India--History, journalists, Hindi press, Hindi Media
    Permanent URL:
    https://doi.org/10.17613/2cqf-mb51
    Abstract:
    यह बिहार के पत्रकार उपेंद्र कश्यप की किताब "आंचलिक पत्रकारिता के तीन दशक" की प्रस्तावना है। उपेंद्र कश्यप की किताब हिंदी प्रिंट मीडिया के उस विशाल तहखाने की सच्चाइयों को उजागर करती है, जिसे क्षेत्रीय पत्रकारिता के नाम से जाना जाता है। वे उन कारणों के विस्तार में उतरते हैं, जिसके कारण समाज का प्रबुद्ध वर्ग इस पेशे को बिकाऊ, दलाल आदि कहता है। वे पत्रकारिता में क्षेत्रीय स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के ऐसे अंदरूनी रूपों को भी उजागर करते हैं, जो संभवत: पहली बार इस किताब के माध्यम से मीडिया-अध्ययन के क्षेत्र का हिस्सा बने हैं। लेकिन साथ ही एक कौंध की तरह यह भी ध्यान दिलाते हैं कि इस सबके बावजूद इस पेशे में कुछ ऐसी अनूठी बात है, जो इसे नैतिक-पतन के उस कगार तक पहुंचने से रोकती है, जहां अनेक अन्य पेशे में लगे सफेदपोश मौजूद हैं। इससे संबंधित कुछ रोचक प्रसंगों का वर्णन भी उन्होंने किया है, जिसके निष्कर्ष विचारोत्तेजक हैं।
    Notes:
    उपेंद्र कश्यप तीन दशकों से बिहार के एक छोटे से कस्बे में क्षेत्रीय-पत्रकारिता में संलग्न रहे हैं। यह तीन दशक ही हिंदी पत्रकारिता में क्षेत्रीय पत्रकारिता की शुरुआत और उसके पतन के भी रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की इस दुनिया के ऐसे अनेक पहलुओं को उजागर किया है, जो आम लोगों के ही नहीं, बल्कि अब तक मीडिया-अध्येताओं के लिए भी अनदेखे हैं।
    Metadata:
    Published as:
    Book chapter    
    Status:
    Published
    Last Updated:
    5 months ago
    License:
    Attribution

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    Item Name: pdf ranjan-pramod.-aanchalik-patrikarita-ke-teen-dashak-ki-bhumika..bfc-publications-2022..pdf
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