• बहुजन राजनीति की नई उम्मीद: जीतनराम मांझी

    Editor(s):
    H.L Dusadh, Pramod Ranjan (see profile) , Jitendra Yadav
    Date:
    2014
    Group(s):
    General Education, History, Political Philosophy & Theory, Sociology
    Subject(s):
    Social justice, Caste, Dalits, Caste-based discrimination, Democracy, Indigenous peoples--Social life and customs, Hinduism--Customs and practices, Culture, Indians--Politics and government, India--Bihar
    Item Type:
    Book
    Tag(s):
    Culture conflict, Social movements--Political aspects--Indian states--History, dalit, Mahadalit
    Permanent URL:
    https://doi.org/10.17613/k7qt-mg95
    Abstract:
    जीतन राम मांझी, एक भारतीय राजनेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वो राजनीतिक पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के नेता के तौर पर 23वें मुख्यमंत्री रहे। मांझी बिहार राज्य में दलित समुदाय के तीसरे मुख्यमंत्री रहे। 20 फरवरी 2015 को उन्होनें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया। यह पुस्तक उनके व्यक्तित्व और उनके कार्यों पर आधारित है। बहुजन समाज द्वारा कभी गंभीरता से न लिए जाने वाले जीतनराम मांझी ने अपने नये अवतार में पश्चिमी चम्पारण के वाल्मीकि नगर में एक ऐसा बयान जारी किया जिसकी अनुगूँज बहुजन भारत में लंबे समय तक सुनाई पड़ने की संभावना दिख रही है। उस दिन उन्होंने कहा कि सवर्ण जाति के लोग विदेशी हैं। यहाँ मूल निवासी आदिवासी, अनुसूचित जाति व गरीब लोग हैं।
    Notes:
    मांझी सरकार ने अपने अल्प कार्यकाल में कमजोर तबकों को जल्दी इन्साफ दिलाने की तीव्र कोशिश, गरीबों को पाँच डिसमिल जमीन उपलब्ध कराना, सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल खोलना, समावेशी विकास, मानव संसाधन विकास, बैंकिंग विकास, लोक संबंधी मुद्दों आदि पर काम करने की प्रतिबद्धता जताई थी।
    Metadata:
    Published as:
    Book    
    Status:
    Published
    Last Updated:
    11 months ago
    License:
    Attribution

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