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समय से संवाद: जन विकल्प संचयिता
- Author(s):
- Pramod Ranjan (see profile)
- Date:
- 2022
- Group(s):
- Arts and Culture for Global Development, Buddhist Studies, Cultural Studies, Literary Journalism, Sociology
- Subject(s):
- Criticism, India--Bihar, Indians--Politics and government, Globalization, Communism, Socialism, Hindi literature, Rāmacāmi, Ī. Ve., Tantai Periyār, 1878-1973, Dalits, Postmodernism
- Item Type:
- Book
- Tag(s):
- Bhagvad Geeta, Aadivaasi, Bipan chandra, Aamrtya Sen, Arundhati Roy, Yogendra Kumar, Ravish Kumar, Baudhism, Bahujan, ganpati
- Permanent URL:
- https://doi.org/10.17613/k58n-hb46
- Abstract:
- ‘समय से संवाद: जनविकल्प संचयिता’ नाम यह पुस्तक हिंदी मासिक ‘जन विकल्प’ में प्रकाशित प्रतिनिधि सामग्री का संकलन है। प्रेमकुमार मणि और प्रमोद रंजन के संपादन में पटना से वर्ष 2007 में प्रकाशित इस पत्रिका की जनपक्षधरता, निष्पक्षता और मौलिक त्वरा ने समाजकर्मियों और बुद्धिजीवियों को गहराई से आलोड़ित किया था। इस पुस्तक में जिन लेखों और साक्षात्कारों को जगह दी गई है, उनके कथ्य चिरजीवी हैं। धर्म, विज्ञान, भाषा, इतिहास और पुनर्जागरण पर केंदित सामग्री नए तथ्यों को एक कौंध की तरह इतने नए दृष्टिकोण के साथ पाठक के सामने रखती है कि अनेक मामलों में सोच का पारंपरिक ढांचा दरकने लगता है। इसमें शामिल अनेक लेख उन हाशियाकृत समाजों के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संघर्षों को शिद्दत से सामने लाने की कोशिश करते हैं, जिन्हें मौजूदा अस्मिता विमर्श में भी जगह नहीं मिल सकी है। भारतीय पत्रकारिता के इतिहास का अध्ययन करने वालों के लिए तो यह एक आवश्यक संदर्भ ग्रंथ है ही, इक्कीसवीं सदी के आरंभ में जारी राजनीतिक, सामाजिक और बौधिक हलचलों को समझने के लिए भी उपयोगी है। इसमें शामिल अनेक लेख उन हाशियाकृत समाजों के सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक संघर्षों को शिद्दत से सामने लाने की कोशिश करते हैं, जिन्हें मौजूदा अस्मिता विमर्श में भी जगह नहीं मिल सकी है।
- Notes:
- जन विकल्प के संबंध में समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित सामग्री का अंश: जन विकल्प में छप रहे लेखों में यथास्थितवाद और कर्मकांड के विरुद्ध तटस्थ होकर अपनी एक पक्षधरता पेश कर रही है।- दैनिक हिंदुस्तान असहमति का स्वर बुलंद करती और विकल्पहीनता की अवधारणा को चुनौती देतीं लघु पत्रिकाओं के बीच जन विकल्प ने बहुत कम समय में पहचान बनायी है।- प्रभात खबर जन विकल्प की साहित्य वार्षिकी अपने समय की सच्चाइयों से संवाद है।- इंडिया टुडे
- Metadata:
- xml
- Published as:
- Book Show details
- Publisher:
- अनन्य प्रकाशन, दिल्ली
- Pub. Date:
- 2022
- ISBN:
- 978-93-92380-49-5
- Status:
- Published
- Last Updated:
- 5 months ago
- License:
- Attribution