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उत्तर मानववाद की आहट
- Author(s):
- Pramod Ranjan (see profile)
- Date:
- 2022
- Group(s):
- Anthropocene Studies, Artificial Intelligence, Environmental Humanities, Sociology
- Subject(s):
- Posthumanism, Transhumanism, COVID-19 (Disease)--Social aspects, Discourse analysis--Political aspects
- Item Type:
- Article
- Tag(s):
- Global village, discourse in hindi, Dalit-bahujan
- Permanent URL:
- https://doi.org/10.17613/csf0-qf23
- Abstract:
- यह लेख उत्तर-मानववाद से संबंधित विमर्श से हिंदी पाठकों को परिचित करवाने के उद्देश्य से लिखा गया है। इस लेख में कहा गया है कि विकास केवल भौतिक-प्राकृतिक जगत में ही नहीं, विचारों के क्षेत्र में भी होता है। दुनिया लगातार बदल रही है, विकसित हो रही है। आज न हम कार्ल मार्क्स के ज़माने में हैं, न गांधी-आम्बेडकर-लोहिया के ज़माने में। आर्थिक-सामाजिक सम्बन्ध भी निरंतर परिवर्तित हो रहे हैं। इसलिए हर वक्त हमें नई चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा। लकीर के फ़क़ीर लोग संसार के सबसे दयनीय लोग होते हैं। आज हम उत्तर सत्य और उत्तर मानववाद (Post Truth & Post Humanism) के ज़माने में हैं। समाज में जो हाशिए के लोग हैं, मेहनतक़श लोग हैं, उन्हें ख़त्म कर देने की कोशिशें हो रही हैं। इसलिए आवश्यक है कि हम अपनी रणनीति को नए विचारों और सन्दर्भों में निरंतर मांजते रहें।
- Notes:
- यह आलेख राष्ट्रीय जनता दल के मुख पत्र 'राजद समाचार' , मासिक पत्रिका 'समयांतर' तथा 'जनपथ' नामक वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ है। यहां संलग्न फाइल में समयांतर पत्रिका में प्रकाशित लेख है।
- Metadata:
- xml
- Published as:
- Journal article Show details
- Pub. DOI:
- https://doi.org/10.5281/zenodo.6571140
- Publisher:
- Sweet Home Publication
- Pub. Date:
- May, 2022
- Journal:
- Samayantar
- Volume:
- 53
- Issue:
- 8
- Page Range:
- 45 - 46
- ISSN:
- 2249-0469
- Status:
- Published
- Last Updated:
- 10 months ago
- License:
- Attribution
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