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कोविड पश्चात दुनिया और बहुजन कार्यकर्ताओं की ज़िम्मेदारी
- Author(s):
- Pramod Ranjan (see profile)
- Date:
- 2022
- Group(s):
- Communication Studies, Cultural Studies, Political Philosophy & Theory, Public Humanities, Race/Ethnicity in Classical Antiquity
- Subject(s):
- Social justice, COVID-19 (Disease)--Social aspects, Dalits--Social conditions, Indigenous peoples--Social conditions, Caste, Food security
- Item Type:
- Book chapter
- Tag(s):
- lockdown, Bossware, digital surveillance, Milton Friedman, Tech Giants, deprived sections, World Health Organization, The Lancet, Coronavirus Famine, Bahujan movement
- Permanent URL:
- https://doi.org/10.17613/jn4n-eg03
- Abstract:
- इस आलेख में मैंने यह देखने की कोशिश की है कि कोविड की रोकथाम के लिए उठाए गए अतिरेकपूर्ण कदमों के कारण दुनिया में क्या स्थितियाँ उत्पन्न होने वाली हैं। विशेष तौर पर सामाजिक वंचना झेल रहे मानव-समुदायों पर इसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है। आलेख में भारत के उन शोषित समुदायों को केंद्र में रखा गया है, जो भारतीय आबादी का बहुसंख्यक हिस्सा हैं। इस बहुसंख्या में हिंदू धर्म में अछूत माने गए समुदायों के अतिरिक्त, सामाजिक रूप से तिरस्कृत अन्य निचली जातियां, आदिवासी, विमुक्त घुमंतू जातियां, धर्मांतरित अल्पसंख्यक, किन्नर आदि शामिल हैं। हाल के वर्षों में भारत के इस बहुसंख्यक हिस्से ने अपने सामाजिक-न्याय संबंधी आंदोलनों के दौरान एकता की अभिव्यक्ति के लिए स्वयं को ‘बहुजन’ ( बहुसंख्यक) कहना आरंभ किया है। ‘बहुजन’ एक अवधारणात्मक शब्द है, जिसका प्रथम प्रयोग 2500 वर्ष पहले बुद्ध के उपदेशों में मिलता है । बुद्ध कहते हैं - “बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय”। यानी, जो विश्व के बहुसंख्यक मनुष्यों (जनों) के हित में हो, उनके लिए कल्याणकारी हो, वही श्रेयस्कर है। इस प्रकार, ‘बहुजन अवधारणा’ वैश्विक परिदृश्य को अपने संज्ञान में रखती है और बहुजनों के बीच एकता पर बल देती है, जिनमें रंग-भेद व लैंगिक भेदभाव से पीड़ित आबादी समेत सभी शोषित व वंचित तबके शामिल हैं। यह अवधारणा इन समुदायों को स्वयं को अल्पसंख्यक की बजाय बहुसंख्यक के रूप में देखने और साझा संघर्ष करने के लिए प्रेरित करती है। आलेख में ‘बहुजन’ शब्द का प्रयोग इसी अर्थ में किया गया है।
- Notes:
- This article was also published in web portal "Juputh" with different heading. https://junputh.com/lounge/world-after-covid-19-and-responsibilities-of-bahujan/
- Metadata:
- xml
- Published as:
- Book chapter Show details
- Publisher:
- Yugantar publication
- Pub. Date:
- 2022-02-01
- Book Title:
- महामारी : साहित्य, समाज, सत्ता और संस्कृति
- Author/Editor:
- Jaiprakash Dhumketu and Amrendra Kumar Sharma
- Chapter:
- 27
- Page Range:
- 255 - 266
- ISBN:
- 9789382329183
- Status:
- Published
- Last Updated:
- 1 year ago
- License:
- Attribution
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Item Name: after-covid_dalit_obc_adivasi-and-other-bahujans_assam-university.pdf
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